शिक्षा सबका अधिकार
यह लेख मेरे विश्वज्ञान के आधार पर लिखित किया गया है भविष्य मे कभी न कभी
यह व्यवस्थाये इस देश मे सुचारू रूप चालू होंगी ऐसा मेरा दृढ विश्वास है
मै शायद तब रहु या न रहु पर मेरे द्वारा लिखे गये विचार इस देश के विकास के
लिये जरूर रहेंगे आज भी हमारे देश मे एक हि किस्ती सबको सवार करके पढने कि
व्यवस्था चालू है सभी भाषो मे शिक्षा मिलती है मगर शिक्षा का मुल हेतू
सिर्फ ओर सिर्फ नौकरी पाना यही एक बन गया है शिक्षा से इन्सान अपना जीवन
सही तरीके से कोई हुनर सिखे जिसकी वहज से वो अपना परिवार पाल सके आज के भी
दौर मे शिक्षा एक जगह सिकुड गई है रात रात भर जागकार बच्चे किताबी ज्ञान
अर्जित कर लेते है मगर जीवित रहने का ज्ञान वो नही ले पाते १८ साल कि लडकी
या लडका ९५ मार्क्स लाते है मगर भूक लगणे पर दो रोटी या सब्जी चावल तक बना
पाने मे असमर्थ दिखते है खूब ज्ञान पाने वाले भी अक्सर पाणी मे गिरते हि
डूब कर मर जाते है लेकीन उने तैरना नहि आता खूब ज्यादा पढाई करणे वाले
होनहार भी ज्यादातर लोग घर के बुजुर्गो को कभी पाव पढकर आशीर्वाद लेते नहि
दिखते देश मे शिक्षा का स्तर अनुभव हीनता ओर संस्कार से परे हो रहा है ऐसा
नहि होना चाहिये शिक्षा मे क्लास १ से लेकर क्लास ८ तक कि प्रायमरी
शिक्षा सरकारी स्कुलो मे हि सक्ती से हो कोई भी प्रायवेट शिक्षा संस्थान
नहि खुलेगा क्लास ९ से १२ तक प्रायवेट शिक्षा संस्थान तो खुलेंगे मगर वो
सभी सरकार के देखरेख मे चलेंगे पदवी तक या उससे कोई भी शिक्षा पाने का हक
अपनी योग्यता पर होगा सरकारी नौकरी करणे के लिये सक्त कानून बनाये जाये के
जो वक्ती सेना मे कम से कम ५ साल तक सेवा कर चुका है उस इन्सान को सरकारी
सेवा करने का पहले मोका मिलाना चाहिये विक्लान्गोको छोडकर यह कानून बनणे
चाहिये सरकारी नौकरी भी सिर्फ २० साल करणे के प्रावधान होणे चाहिये ताकी २५
साल कि उम्र मे लगणे वाला इन्सान ४५ साल मे रिटायर हो ओर बची जिंदगी
मिलानेवली पेन्शन के साथ कोई न कोई काम जरूर करे जिसमे उसे हुनर हो नोकरी
कम होणे से जीवन का नियोजन भी अच्चे तरीकेसे हो सकेगा ओर देशसेवा के साथ
रोजगार के अवसर भी ज्यादा ओर जलद नव जवनोको मिल सकेंगे शिक्षा तो जीवन जिने
के लायक बनाती है